दरख़्तों के साए में कई मकान बाकी हैं, आधे अधूरे ही सही कई अरमा बाकी हैं । दरख़्तों के साए में कई मकान बाकी हैं, आधे अधूरे ही सही कई अरमा बाकी हैं ।
अकेले हो तो अपने अकेलेपन से बात करो.... अकेले हो तो अपने अकेलेपन से बात करो....
गुलाबी ठंड का ख़ुमार , आँगन में पसरी धूप , अलसाई नज़र , मुंदती आँख में चुभता काज गुलाबी ठंड का ख़ुमार , आँगन में पसरी धूप , अलसाई नज़र , मुंदती आँख म...
चौके चूल्हे में, रौनक लगी रहती थी, माँ के होने से सब संभव था चौके चूल्हे में, रौनक लगी रहती थी, माँ के होने से सब संभव था
हम लगाते रहे अश्ज़ार, किसी और के तवक्कल में। हम लगाते रहे अश्ज़ार, किसी और के तवक्कल में।
घर में घर में